हनुमत् जयंती हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इसे साल में दो बार मनाया जाता है। प्रथम चैत्र मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन और दूसरा कार्तिक महीने में दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिन । इसे हनुमत् जन्मोत्सव, हनुमत् जयंती, बजरंगबली जयंती और आंजनेय जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हनुमान जी के भक्त व्रत रखते हैं और हनुमान जी की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। कलयुग के देवता हनुमान जी के अंदर कई अद्भुत शक्तियां हैं। जिनका वर्णन रामायण में ही नहीं बल्कि महाभारत में भी हुआ है। यही नहीं उनके बारे में कई ऐसे तथ्य भी हैं जिससे आप सभी अज्ञात होंगे।

हनुमान जी की मूर्ति का रंग क्यों है लाल या नारंगी :-

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी ने माता सीता को माथे पर सिंदूर लगाते हुए देखा और उनसे पूछा कि वह अपने दैनिक जीवन में सिंदूर क्यों लगाती हैं? तब माता सीता ने हनुमान जी को समझाया कि वह ये सिंदूर श्रीराम जी की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं। ऐसा करना उनके पति के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। हनुमान जी ने श्रीराम जी के प्रति अनन्य भक्ति के कारण उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिंदूर से लेप (रंग) लिया । हनुमान जी को सिंदूर से रंगा देख श्रीराम जी उनकी इस निष्ठावान भक्ति को देखकर प्रसन्न हो गए । जिसके बाद श्रीराम ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि जो मनुष्य सिंदूर से हनुमान जी की पूजा- अर्चना करेंगे, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी तथा किसी प्रकार का कष्ट उनके जीवन में नहीं होगा । हनुमान जी की मूर्ति सिंदूर से रंगी होने का यही कारण है कि आज भी मंदिरों में उनकी मूर्ति सिंदूर से रंगी होती है।

श्री हनुमान जी सदैव अमर रहेंगे :-

हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिन्हें कलयुग के देवता के नाम से जाना जाता है। जंहा एक तरफ उन्हें इंद्रदेव से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला है, तो वंही दूसरी ओर प्रभु श्रीराम जी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया एवं साथ ही माता सीता से उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्रदान किया । विशेष रूप से हनुमान जी का निवास स्थान गंधमादन पर्वत पर है ।

ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र का रहस्य :-

वैसे तो हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा जाता है लेकिन उनका एक पुत्र भी है। जब वे माता सीता की खोज में लंका गए तब उन्होंने अपनी पूंछ में लगी आग से लंका को जला दिया । जिसके बाद उन्होंने अपनी पूँछ में लगी आग को बुझाने के लिए उसे समुद्र में डुबो दिया । उस समय हनुमान जी के शरीर से एक बूँद पसीने की गिरी जिसे एक मगरमच्छ ने निगल लिया। उनके इस पसीने की एक बूंद से एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम मकरध्वज था।

सबसे पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण

शास्त्रों के अनुसार सबसे पहली रामायण हनुमान जी ने लिखी थी। हनुमान जी ने हिमालय पर्वत की एक चट्टान पर अपने नाखूनों से रामायण को उकेरा था। उन्होंने अपनी इस रामायण को शिवजी को दिखाया जिसके बाद इस रामायण का नाम हनुमत् रामायण पड़ा। जब वाल्मीकि जी अपनी रामायण दिखाने वहां पहुंचे तो वे हनुमान जी द्वारा लिखी रामायण को देखकर बहुत निराश हुए क्योंकि हनुमत् रामायण बहुत ही सुंदर लिखी गई थी। हनुमान जी ने जब महर्षि वाल्मीकि के मन की बात जानी तो उन्होंने अपनी लिखी रामायण को ले जाकर दूर समुद्र में डुबो दिया। जिसके पश्चात् वाल्मीकि रामायण विख्यात हुई।

हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र भी है निष्प्रभावी :-

आपने कई बड़े-बड़े और शक्तिशाली अस्त्रों के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन ब्रह्मास्त्र एक ऐसा अस्त्र है जिसे सबसे शक्तिशाली अस्त्र माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार इंद्रदेव ने क्रोध में आकर हनुमान जी पर वज्र से प्रहार किया । जिससे हनुमान जी मूर्छित हो गए । तब क्रोध में आकर पवनदेव ने पूरे संसार की प्राणवायु रोक दी । जिससे सृष्टि में हाहाकार मचने लगा। तब ब्रह्माजी के द्वारा हनुमान जी को होश में लाया गया । इसके पश्चात् हनुमान जी को ब्रह्मदेव से ब्रम्हास्त्र का असर न होने का वरदान मिला । जिसका प्रयोग बाद में अशोकवाटिका में हुआ । जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए तो अशोकवाटिका में उनका युद्ध रावण के पुत्रों के साथ हुआ । हनुमान जी को पकड़ने के लिए जब मेघनाद अशोक वटिका में आया तब उन्होंने हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया ।

“भगवान श्री हनुमान जी के बारे में ये थे कुछ रोचक तथ्य जिनके बारे में शायद ही आपने सुना या पढ़ा होगा” ।