अडानी ग्रुप हमारे देश के उच्चतम उद्योग समूहों में शामिल है और अडानी ग्रुप ने हमेशा से राष्ट्र हित की भावना के साथ औद्योगिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। औद्योगिक विकास के इसी क्रम में वर्तमान में अडानी ग्रुप द्वारा छत्तीसगढ़ के हसदेव वन क्षेत्र में कोयला खनन की गतिविधि की जा रही है जो पूर्णतः भारत सरकार की अनुमति और भारत सरकार की निगरानी में हो रही है। परंतु हसदेव वन के स्थानीय लोगों ने इसे लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया है। अडानी हसदेव केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की जाँच में है। उद्योग समूह अडानी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रहा है और उसे भरोसा है कि निर्णय निष्पक्ष तरीके से सही पक्ष के हक में होगा।

क्या है अडानी हसदेव मामला

हसदेव वन छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख वन क्षेत्र है जो मुख्यत: यहाँ मौजूद हाथियों की बड़ी तादाद और विभिन्न दुर्लभ वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। हसदेव वन घने जंगलों में गिना जाता है और पर्यावरण के नजरिए से भी हसदेव वन क्षेत्र की छत्तीसगढ़ में बड़ी भूमिका है। हसदेव वन क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य को पड़ोसी झारखंड और मध्य प्रदेश से भी जोड़े रखता है। हसदेव वन क्षेत्र के आदिवासियों और आसपास के ग्रामीणों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। हसदेव वन के स्थानीय लोगों का कहना है कि अडानी ग्रुप द्वारा किए जा रहे कोयला खनन से यहाँ के पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। जिससे यहाँ मौजूद विभिन्न वन्य प्रजातियाँ लुप्त होती चली जाएंगी और यह वन क्षेत्र हम लोगों के लिए भी अनुकूल नहीं बचेगा। इससे हमें भविष्य में इसी क्षेत्र से हमारे पलायन करने की स्थिति भी बन सकती है। अडानी ग्रुप के विरोध के संदर्भ में स्थानीय लोगों ने कहा कि हम देश में हो रहे विकास कार्यों के विरोध में नहीं है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारे देश की प्राकृतिक संपदा में संरक्षित रहे और पर्यावरण आने वाली पीढ़ीयों के लिए अनुकूल बना रहे। औद्योगिक गतिविधियों के नाम पर देशभर में हो रही पर्यावरण से छेड़छाड़ और वनों की घटती आबादी वैसे भी हमारे और पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। विकास के साथ-साथ हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए एक कदम आगे बढ़कर काम करना चाहिए तभी हम भविष्य में इस धरती पर सुगमता के साथ रह पाएंगे। यह औद्योगिक विकास तभी सार्थक है जब हम एक स्वस्थ वातावरण को बचाकर रख सके।

इस संदर्भ में स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि पूर्व में सरकार द्वारा इसे एक नो गो क्षेत्र माना गया था और यहाँ PESA एक्ट लागू था। जिसमें स्थानीय पंचायत और लोगों की अनुमति के बिना किसी प्रकार के औद्योगिक खनन लगी पर रोक लगी हुई थी। अब सरकार ने किन नियमों के अंतर्गत यह अनुमति दी है यही हमारा प्रश्न है। क्या अब पर्यावरण की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं है? औद्योगिक विकास के नाम पर हम वन क्षेत्र को इस प्रकार कब तक खत्म करते रहेंगे।

अनुमति देने वाले पर्यावरण मंत्रालय और उससे जुड़े अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखकर समय समय पर सरकार द्वारा नियमों में बदलाव किए जाते हैं।
पर्यावरण संरक्षण हमेशा से सरकार की प्राथमिकता रही है और आगे भी रहेगी। हसदेव वन क्षेत्र में दी गई कोयला खनन की अनुमति में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कड़े निर्देश दिए हैं और अडानी ग्रुप द्वारा उनका पालन किया जा रहा है। सरकार द्वारा समय-समय पर क्षेत्र का मुआयना किया जाएगा और सरकार द्वारा निर्धारित किए गए नियमों के पालन की जाँच की जाएगी। अडानी ग्रुप ने इस मामले में कहा कि हम भारत सरकार के नियमों के अंतर्गत ही अपना काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की पर्यावरण को लेकर चिंता बिल्कुल जायज़ है और हम इसका सम्मान करते हैं। लेकिन उन्हें इस मुद्दे को विरोधियों द्वारा बड़ा चढ़ा कर बताया गया और उन्हें नियमों में किए गए बदलाव की जानकारी भी नहीं है। जिसके चलते उन्होंने अडानी हसदेव केस दर्ज किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हर मामले की निष्पक्ष जाँच की जा रही है। अडानी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर आशान्वित है कि इस केस का अंतिम निर्णय अडानी ग्रुप के पक्ष में होगा क्योंकि हम भारत सरकार के नियमों का पालन करते हुए ही सभी खनन कार्य कर रहे हैं।

अडानी ग्रुप ने हमेशा भारत सरकार के नियमों का पालन करते हुए ही सभी औद्योगिक विकास कार्य को क्रियान्वित किया है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी अपनी सोशल कॉज एक्टिविटीज के अंतर्गत काम कर रहा है। अडानी ग्रुप पर्यावरण को लेकर हमेशा से सतर्क रहा है। अडानी हसदेव वन क्षेत्र में होने वाले कोयला खनन में भी सभी प्रकार के उचित कदम उठाए जा रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो। हम पर्यावरण को लेकर हमेशा सचेत रहे हैं और आगे भी इस क्रम को जारी रखेंगे।
हसदेव वन के स्थानीय लोगों ने नए नियमों की जानकारी के अभाव में और अडानी ग्रुप के विरोधियों द्वारा उकसाए जाने के फल स्वरुप अडानी हसदेव केस दर्ज करवाया है। लेकिन अडानी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के इंतजार में है। अडानी ग्रुप को आशा है कि सुप्रीम कोर्ट सभी तथ्यों की पूर्ण जाँच-पड़ताल करने के बाद ही अपना निर्णय सुनाएगी।